【हार ना मान तू।】
हार ना मान तू
जीत को जान तू।
जीत ही जश्न है
हार तो ज़ख्म है।
संघर्ष की ना व्यथा सुना
जीत की तू कथा सुना।
व्यापक बुध्दि साथ रख
गन्दगी ना पास रख।
दोस्ती ना यारी रख
खुद से खुद की तैयारी रख।
सोच को तू विस्तार दे
संकुचन को त्याग दे।
वार्तालाप को तू विराम दे
मौन व्रत को अंजाम दे।
निकम्मों को ना साथ ले
अकेले ही रस्ता नाप दे।
सकारात्मक की शाल ओढ़
नकारात्मक की ढाल छोड़।
अपने लक्ष्य को साध कर
जीवन को अग्रसर कर।
दुनियादारी की भीड़ में
खुद को ना भ्रष्ट कर।
ये ज़िंदगी है बेशकीमती
जो नसीब से है मिलती।
यहाँ कर्म का खेल है
कर्मोंं के हिसाब से ही
ये ज़िंदगी फलती और फूलती है
तभी खुशी मिलती है।
हार ना मान तू
जीत को जान तू।।
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27 Comments
Superb
ReplyDeletethank u
Deleteशानदार 👌👌👌👌
ReplyDeletethanks bhai ji
DeleteVery good
ReplyDeleteThank u
DeleteNice
ReplyDeleteNice lines...
ReplyDeleteThank u sir ji
DeleteAppreciate to you
ReplyDeleteThank u Vipin bhi ji
DeleteAppreciate to you
ReplyDeleteThank u
DeleteSuper
ReplyDeleteNice line
ReplyDeleteBohat sundar
ReplyDeleteThank u Vijay bhai
DeleteVery good
ReplyDeleteThank u Lakhan ji
DeleteLovely
ReplyDeleteAdhbhut
ReplyDeleteAdhbhut
ReplyDeleteThank u
DeleteOne of best poem,👏👏👏👏👌
ReplyDeleteThanks Khushi ji🙏
DeleteWaah waah tabhi to khushi milti😎😏
ReplyDeleteHaa ji Tabhi Khushi multi h 🙏
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