【हार ना मान तू।】

                                                                


हार ना मान तू 

जीत को जान तू।


जीत ही जश्न है

हार तो ज़ख्म है।


संघर्ष की ना व्यथा सुना

जीत की तू कथा सुना।


व्यापक बुध्दि साथ रख

गन्दगी ना पास रख।


दोस्ती ना यारी रख

खुद से खुद की तैयारी रख।


सोच को तू विस्तार दे

संकुचन को त्याग दे।


वार्तालाप को तू विराम दे

मौन व्रत को अंजाम दे।


निकम्मों को ना साथ ले

अकेले ही रस्ता नाप दे।


सकारात्मक की शाल ओढ़

नकारात्मक की ढाल छोड़।


अपने लक्ष्य को साध कर 

जीवन को अग्रसर कर।


दुनियादारी की भीड़ में

खुद को ना भ्रष्ट कर।


ये ज़िंदगी है बेशकीमती

जो नसीब से है मिलती।


यहाँ कर्म का खेल है

कर्मोंं के हिसाब से ही 


ये ज़िंदगी फलती और फूलती है

तभी खुशी मिलती है।


हार ना मान तू 

जीत को जान तू।।
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