जिंदगी और मौत 

जिंदगी और मौत

जिंदा थे हम तो किसी ने ,
पास भी न बिठाया 
अब सब मेरे चारो ओर ,
बैठे जा रहे हैं। 
पहले कभी किसी ने मेरा ,
हाल भी ना पूछा था 
अब सभी आँसू बहाये जा रहे हैं। 
एक रुमाल भी किसी ने 
ना दिया जब हम जिन्दा थे 
अब कपड़ो के ढेर मेरे ऊपर 
चढ़ाये जा रहे हैं। 
साथ ना चल सका कोई , 
तो अब फूलो से सजकर 
मुझे कंधो पर उठाये चले जा रहे हैं। 
अब पता चला कि मौत ,
जिंदगी से कितनी अच्छी है
हम तो बेवजह ही जिंदगी की 
चाहत किये जा रहे थे।