हार को तू मान न, जीत को तू ठान ले
हार को तू मान न, जीत को तू ठान ले
हार को तू मान न, जीत को तू ठान ले
मंजिलें हैं सामने, इनको तू पहचान ले।
मंजिलें हैं सामने, इनको तू पहचान ले।
जिंदगी में आगे बढ़ता जा,
पत्थरों का सीना चीर के रास्ता बनाता जा,
हौसले न हैं कम दुनिया को ये दिखाता जा,
मुश्किल रास्तों पर भी मंजिलें सजाता जा।
पत्थरों का सीना चीर के रास्ता बनाता जा,
हौसले न हैं कम दुनिया को ये दिखाता जा,
मुश्किल रास्तों पर भी मंजिलें सजाता जा।
कौन कहता है खुदा तुझसे खफा है,
कौन कहता है वक़्त वेबफा है,
कभी तू दुआओं में ज्यादा असर ढूंढता था,
कभी तू वक़्त को नही पल को बुरा कहता था।
कौन कहता है वक़्त वेबफा है,
कभी तू दुआओं में ज्यादा असर ढूंढता था,
कभी तू वक़्त को नही पल को बुरा कहता था।
हार को तू मान न, जीत को तू ठान ले,
मंज़िलें हैं सामने, इनको तू पहचान ले।
मंज़िलें हैं सामने, इनको तू पहचान ले।
निगाहों में मन्ज़िल थी, गिरे और गिरके सम्भलते रहे,
हवाओ ने बहुत कोशिश की, लेकिन चिराग थे जो
आंधियो मे भी जलते रहे।
हवाओ ने बहुत कोशिश की, लेकिन चिराग थे जो
आंधियो मे भी जलते रहे।
ढूंढ लेते हैं अंधेरो में भी रोशनी,
जूगनू कभी रोशनी के मोहताज नही होते।
और जब टूटने लगें हौसले तब यही सोच लेना बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नही होते।
जूगनू कभी रोशनी के मोहताज नही होते।
और जब टूटने लगें हौसले तब यही सोच लेना बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नही होते।
हार को तू मान न, जीत को तू ठान ले
मंजिलें हैं सामने, इनको तू पहचान ले।
मंजिलें हैं सामने, इनको तू पहचान ले।
3 Comments
Wow. Well and powerful words.
ReplyDeleteThank u so much Khushi ji
DeleteNice
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